बंगाल का प्राचीन इतिहास:- बंगाल का प्राचीन इतिहास अत्यंत समृद्ध, विविध और जटिल है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बंगाल का वर्तमान भूभाग भारत के पश्चिम बंगाल राज्य और बांग्लादेश में विभाजित है। बंगाल का इतिहास प्राचीन काल से लेकर मध्यकाल तक अनेक संस्कृतियों, राजवंशों और सभ्यताओं के प्रभाव के अधीन रहा है।
वैदिक काल और महाजनपद युग (1500 ई.पू. – 500 ई.पू.)
बंगाल का सबसे पुराना इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। इस काल में बंगाल का पश्चिमी भाग अंग महाजनपद के अंतर्गत आता था। महाभारत और पुराणों में भी अंग, वंगा और पुंड्र नामक जनपदों का उल्लेख मिलता है। यह क्षेत्र गंगा नदी के डेल्टा में स्थित था और यहां पर प्रारंभिक सभ्यताएं विकसित हुईं। इस युग में कृषि, शिल्पकला और व्यापार का विकास हुआ। अंग और वंगा महाजनपद इस क्षेत्र के प्रमुख राज्य थे। अंग की राजधानी चंपा थी, जो आज के बिहार में है, लेकिन बंगाल के दक्षिणी भाग पर भी इसका प्रभाव था।
मौर्य और गुप्त साम्राज्य (322 ई.पू. – 550 ई.)
चंद्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में मौर्य साम्राज्य की स्थापना के साथ, बंगाल मौर्य साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया। सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को बंगाल में फैलाया और कई बौद्ध स्तूप और मठों की स्थापना की। इस काल में बंगाल में व्यापार और वाणिज्य का बहुत विकास हुआ और यह भारत-चीन व्यापार मार्गों का प्रमुख केंद्र बन गया।
गुप्त साम्राज्य के काल में (लगभग 320-550 ई.), बंगाल फिर से एक समृद्ध क्षेत्र बना। इस काल को ‘भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग’ कहा जाता है, क्योंकि इस समय विज्ञान, गणित, कला और साहित्य में महत्वपूर्ण प्रगति हुई। बंगाल का आर्थिक और सांस्कृतिक विकास गुप्त शासन के तहत तेजी से हुआ। गुप्त शासक समुद्रगुप्त ने बंगाल पर विजय प्राप्त की थी और इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में शामिल किया था।
पाल वंश (750 – 1174 ई.)
पाल वंश का शासन बंगाल के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। गोपाल, जो पाल वंश का संस्थापक था, ने 8वीं शताब्दी के मध्य में बंगाल में एक स्थिर और शक्तिशाली राज्य की स्थापना की। पाल वंश के शासकों ने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म के रूप में अपनाया और इसे बंगाल से तिब्बत, नेपाल और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैलाया। पाल शासकों ने शिक्षा और संस्कृति को प्रोत्साहित किया, और इस दौरान नालंदा विश्वविद्यालय और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान अपने चरम पर पहुंचे।
पाल साम्राज्य के दौरान, बंगाल एक महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बना, और बौद्ध धर्म की महायान शाखा का मुख्य केंद्र था। पाल शासक धर्मपाल और देवपाल जैसे शासकों ने साम्राज्य को उत्तर भारत के कई क्षेत्रों तक फैलाया।
सेना वंश (11वीं-12वीं शताब्दी)
सेना वंश के शासकों ने 11वीं और 12वीं शताब्दी में पाल वंश को पराजित कर बंगाल में अपना शासन स्थापित किया। इस वंश का संस्थापक विजयसेन था, जिसने बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों को एकीकृत किया और उसे मजबूत किया। बौद्ध धर्म के स्थान पर हिन्दू धर्म का पुनरुत्थान हुआ, और इस काल में संस्कृत साहित्य और ब्राह्मणवादी संस्कृति का विकास हुआ। लक्ष्मण सेन सेना वंश का एक प्रमुख शासक था, जिसने बंगाल को एक शक्तिशाली राज्य में परिवर्तित किया। उसके शासनकाल में बख्तियार खिलजी ने बंगाल पर हमला किया, जिससे सेना वंश का पतन हुआ और बंगाल में इस्लामिक शासन की नींव पड़ी।
इस्लामी आक्रमण और बंगाल का सुल्तानate (13वीं शताब्दी – 16वीं शताब्दी)
बंगाल में मुस्लिम शासन की शुरुआत 13वीं शताब्दी में हुई, जब तुर्क सेनापति बख्तियार खिलजी ने 1204 में नदिया पर आक्रमण किया और बंगाल को दिल्ली सल्तनत के अधीन कर लिया। खिलजी के आक्रमण के बाद बंगाल में इस्लामी संस्कृति और परंपराओं का प्रभाव बढ़ा। 14वीं शताब्दी में बंगाल एक स्वतंत्र सुल्तानate बन गया, जिसका मुख्यालय गौड़ (लखनौती) था। बंगाल के सुल्तानों ने एक समृद्ध सांस्कृतिक और वास्तुकला धरोहर छोड़ी, जिसमें मस्जिदें, मदरसे और किले शामिल थे। बंगाल के सुल्तानों का शासन व्यापारिक दृष्टि से भी समृद्ध था और बंगाल कपड़ा उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध हुआ।
मुगल शासन (16वीं शताब्दी – 18वीं शताब्दी)
बंगाल पर मुगल साम्राज्य का आधिपत्य 16वीं शताब्दी के मध्य में हुआ। अकबर के शासनकाल में बंगाल मुगलों के नियंत्रण में आया, और इसके बाद मुगल शासक बंगाल के नवाबों के माध्यम से इसे नियंत्रित करने लगे। बंगाल मुगल साम्राज्य का एक धनी सूबा था और यहां से बड़ी मात्रा में धन और वस्त्र दिल्ली भेजे जाते थे। बंगाल के नवाबों ने क्षेत्र में आंतरिक शांति और समृद्धि बनाए रखी, लेकिन 18वीं शताब्दी के आरंभ में नवाबों की कमजोर प्रशासनिक क्षमता के कारण यहां ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव बढ़ने लगा।
निष्कर्ष
बंगाल का प्राचीन इतिहास राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध और जटिल है। यह क्षेत्र प्रारंभिक वैदिक सभ्यता से लेकर बौद्ध धर्म, हिन्दू पुनरुत्थान और इस्लामी शासन के अधीन आया और अंततः मुगल साम्राज्य के तहत एक समृद्ध सूबा बना। बंगाल का इतिहास न केवल भारतीय उपमहाद्वीप बल्कि पूरे एशिया की राजनीति, व्यापार और संस्कृति को प्रभावित करने वाला रहा है।