मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age) की संस्कृति
मध्य पाषाण काल, जिसे मेसोलिथिक काल भी कहा जाता है, प्राचीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण चरण है, जो पुरापाषाण काल (Paleolithic Age) और नवपाषाण काल (Neolithic Age) के बीच आता है। यह काल लगभग 12,000 वर्ष पूर्व (आइस एज के अंत के बाद) से लेकर 8,000 वर्ष पूर्व तक माना जाता है। इस युग में मानव समाज में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, जो आगे चलकर नवपाषाण काल की सभ्यता का आधार बने। इस समय का मानव न केवल प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहा था, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, और तकनीकी रूप से भी एक उन्नत अवस्था में पहुंच रहा था।
1. जलवायु और पर्यावरण में परिवर्तन
मेसोलिथिक काल के दौरान विश्वभर में जलवायु में उल्लेखनीय परिवर्तन आए। आइस एज समाप्त हो चुकी थी और तापमान में वृद्धि हो रही थी, जिससे बर्फ पिघलने लगी थी। नतीजतन, नदियों और समुद्रों के स्तर में वृद्धि हुई, जिससे नए तटीय क्षेत्रों और घाटियों का निर्माण हुआ। इन परिवर्तनों ने मानव समाज को नई परिस्थितियों के अनुरूप ढलने के लिए प्रेरित किया। शिकार के लिए नए पशु और पक्षी प्रजातियां उपलब्ध हो गईं और कई क्षेत्रों में मानव स्थायी या अर्ध-स्थायी बस्तियां बनाने लगे।
2. उपकरणों का विकास
मेसोलिथिक युग के दौरान, मानव ने पत्थर के उपकरणों को और परिष्कृत किया। हालांकि, यह उपकरण पुरापाषाण काल के भारी और मोटे उपकरणों की तुलना में छोटे और अधिक उपयोगी थे। इस काल में माइक्रोलिथ्स (छोटे पत्थर के औजार) का प्रचलन हुआ, जो लकड़ी के या हड्डी के हैंडल में फिट करके तीर और भाले जैसे शिकार उपकरण बनाए गए। इन उपकरणों का उपयोग न केवल शिकार के लिए बल्कि लकड़ी काटने, चमड़े को तैयार करने और खेती के शुरुआती चरणों में भी किया गया।
3. शिकार और खाद्य संग्रहण
मेसोलिथिक काल के लोग मुख्य रूप से शिकार और संग्रहकर्ता थे। उन्होंने मछलियों का शिकार करना भी शुरू कर दिया था, जिससे उनकी भोजन की विविधता बढ़ी। इस काल में मानव ने छोटे समूहों में रहने और सामूहिक रूप से शिकार करने की प्रवृत्ति विकसित की। शिकार के साथ-साथ जड़, फल, और कंदों का संग्रहण भी किया जाता था। इसका तात्पर्य यह है कि इस काल में मनुष्य पूरी तरह से स्थायी कृषि पर निर्भर नहीं था, लेकिन उसने खाद्य पदार्थों के संग्रहण और संरक्षण की शुरुआती विधियों का विकास किया।
4. आवास और बस्तियाँ
मेसोलिथिक युग के लोग पुरापाषाण युग की तुलना में अधिक व्यवस्थित रूप से रहने लगे थे। हालांकि वे अभी भी स्थायी बस्तियों में नहीं रहते थे, लेकिन कुछ अर्ध-स्थायी बस्तियाँ विकसित होने लगी थीं। ये बस्तियाँ मुख्य रूप से नदियों, झीलों, और समुद्र के किनारों पर स्थित थीं, क्योंकि यहां जल और भोजन की उपलब्धता अधिक थी। बस्तियों के निर्माण के लिए वे गुफाओं, झोपड़ियों और मिट्टी के घरों का उपयोग करते थे। कुछ क्षेत्रों में मानव समाज में कबीलाई व्यवस्था भी देखने को मिलती है, जिसमें वे समूहों में रहते और शिकार करते थे।
5. कला और धार्मिक आस्थाएँ
मेसोलिथिक काल में मानव समाज में कला और धार्मिक आस्थाओं का भी विकास हुआ। गुफाओं की दीवारों पर उकेरी गई चित्रकारी (रॉक आर्ट) और शिलाओं पर खुदाई गई मूर्तियां इस युग की महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं। इन चित्रों में मुख्य रूप से शिकार, पशु-पक्षियों, और मानव आकृतियों को दर्शाया गया है, जो उस समय के सामाजिक जीवन और धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक हैं। यह चित्रकला उस समय के मानव के सौंदर्य बोध और आध्यात्मिक विचारों का दर्पण मानी जाती है।
मेसोलिथिक समाज के लोग संभवतः प्रकृति की शक्तियों, जैसे सूर्य, चंद्रमा, जल और धरती की पूजा करते थे। यह काल मानव जीवन के धार्मिक और आध्यात्मिक विकास का प्रारंभिक चरण माना जाता है। समाज में मृत्यु के बाद के जीवन और आत्मा के अस्तित्व को लेकर विश्वास भी उभरने लगे थे, जो आगे चलकर नवपाषाण काल की विस्तृत धार्मिक आस्थाओं का आधार बने।
6. समाज और सामाजिक संरचना
मेसोलिथिक युग की सामाजिक संरचना सरल थी। अधिकांश लोग छोटे-छोटे समूहों में रहते थे, जिन्हें हम कबीले या परिवार कह सकते हैं। इन समूहों के भीतर कबीलाई संगठन था, जिसमें शायद एक प्रमुख व्यक्ति या नेता होता था, जो समूह के संसाधनों और शिकार का प्रबंधन करता था। श्रम का विभाजन बहुत सरल था, जिसमें पुरुष मुख्य रूप से शिकार और मछली पकड़ने में संलग्न होते थे, जबकि महिलाएं भोजन संग्रहण और बच्चों की देखभाल करती थीं।
इस काल में जनसंख्या घनत्व कम था, क्योंकि मानव समुदाय अभी भी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर थे। संसाधनों की उपलब्धता और भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर समूहों का स्थानांतरण होता था। हालांकि, इस समय मानव समाज में सहयोग और सामूहिक कार्य की भावना का विकास हो चुका था, जो आगे चलकर नवपाषाण समाज के सामुदायिक जीवन का आधार बना।
7. वाणिज्य और आदान-प्रदान
मेसोलिथिक युग में अभी वाणिज्य की कोई व्यवस्थित प्रणाली विकसित नहीं हुई थी, लेकिन विभिन्न समुदायों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान होता था। यह आदान-प्रदान मुख्य रूप से पत्थर के औजारों, शिकार के उपकरणों, और खाद्य पदार्थों के रूप में होता था। इस प्रकार की आदान-प्रदान प्रणाली ने विभिन्न समुदायों के बीच संपर्क और संवाद को बढ़ावा दिया, जिससे सांस्कृतिक और तकनीकी विकास संभव हुआ।
8. पशुपालन और कृषि की शुरुआत
मेसोलिथिक काल के अंत तक, मानव समाज धीरे-धीरे कृषि और पशुपालन की ओर बढ़ने लगा था। कुछ क्षेत्रों में अनाजों की खेती के शुरुआती संकेत मिलते हैं, जबकि अन्य क्षेत्रों में पशुओं का पालन शुरू हुआ। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था, जिसने मानव समाज को स्थायी बस्तियों और कृषि आधारित जीवन की ओर अग्रसर किया। यद्यपि मेसोलिथिक काल में कृषि पूर्णत: विकसित नहीं थी, लेकिन यह नवपाषाण काल की कृषि क्रांति की नींव रखी जा चुकी थी।
9. उपसंहार
मेसोलिथिक युग मानव सभ्यता के विकास का एक महत्वपूर्ण चरण था, जिसमें मानव ने पर्यावरण के अनुकूल अपने जीवन के नए तरीके विकसित किए। यह काल न केवल पत्थर के औजारों के विकास का गवाह बना, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक रूप से भी मानव समाज में महत्वपूर्ण बदलाव आए। शिकार और संग्रहकर्ता से लेकर कृषि और पशुपालन की दिशा में बढ़ते कदमों ने मानव इतिहास की दिशा को पूरी तरह से बदल दिया।