भाषा’ शब्द का अर्थ:-‘भाषा’ शब्द का अर्थ बोलना या प्रकट करना होता है। हमें अपनी बात कहने या प्रकट करने के लिए किसी न किसी भाषा का सहारा लेना पड़ता है।
ऊपर के पहले चित्र में दो स्त्रियाँ आपस में कुछ बात कर रही हैं। दूसरे चित्र में अध्यापक कक्षा में छात्रों को पढ़ा रहे हैं। पहले चित्र में स्त्रियाँ बोलकर और सुनकर अपने मन की बातें प्रकट करती हैं। दूसरे चित्र में अध्यापक लिखकर तथा छात्र उसे पढ़कर उनके भावों को समझ रहे हैं।
अतः विचारों और भावों को व्यक्त करने का माध्यम ही भाषा कहलाती है।
भाषा की परिभाषा – भाषा वह साधन है, जिसके द्वारा हम अपने विचारों एवं भावों को दूसरों के सामने प्रकट करते हैं, तथा दूसरों के विचारों एवं भावों को जानते हैं।
भाषा के निम्नलिखित तीन रूप होते हैं -1. मौखिक भाषा 2. लिखित भाषामौखिक भाषा:3. सांकेतिक भाषा
मौखिक भाषा – जब हम अपने विचारों को बोलकर प्रकट करते हैं और दूसरे लोग उसे सुनकर समझते हैं, तो उसे मौखिक भाषा कहते है। जैसे- भाषण देना, टेलीफ़ोन पर बात करना, कहानी सुनाना आदि।।
लिखित भाषा – जब हम अपने विचार लिखकर प्रकट करते हैं और दूसरे लोग उसे पढ़कर समझते हैं, तो उसे लिखित भाषा कहते हैं। जैसे- समाचार पत्र पढ़ना, कहानी लिखना, श्यामपट्ट (ब्लैक बोर्ड) पर लिखकर पढ़ाना आदि।
सांकेतिक भाषा – जब हम अपने विचारों को संकेतों द्वारा प्रकट करते हैं, तो इसे सांकेतिक भाषा कहते हैं। जैसे चौराहे पर यातायात नियंत्रित करता सिपाही, मूक बधिरों का वार्तालाप आदि
भारत की अनेक भाषाएँ:
हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है क्योंकि यहाँ के अधिकांश लोग इस भाषा का प्रयोग करते हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग भाषाएँ बोली जाती हैं जैसे
- महाराष्ट्र – मराठी
- गुजरात – गुजराती
- असम – असमिया
- उड़ीसा – उड़िया
- केरल – मलयालम
- तमिलनाडु – तमिल
संसार के अनेक देशों में अनेक भाषाएँ बोली, पढ़ी और लिखी जाती हैं जैसे
- रूस – रूसी
- फ्रांस – फ्रेंच
- जापान – जापानी
- पाकिस्तान – उर्दू
- चीन – चीनी
- जर्मन – जर्मनी
- इंग्लैंड – अंग्रेजी
लिपि – प्रत्येक भाषा को लिखने के कुछ अलग-अलग चिह्न या ढंग होते हैं, उसे लिपि कहते हैं।
लिपि की परिभाषा: किसी भाषा को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग होता है, उसे लिपि कहते हैं।
सभी भाषाओं की लिपि भी अलग-अलग होती है। हिंदी और संस्कृत देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं। अँगरेज़ी रोमन लिपि में लिखी जाती है। उर्दू भाषा फ़ारसी लिपि में लिखी जाती है। बांग्ला भाषा बंगाली में लिखी जाती है।
व्याकरण (Grammar): व्याकरण से हम किसी भाषा को शुद्ध रूप से लिखना, पढ़ना और बोलना सीखते हैं।
चित्रों के नीचे लिखे दोनों वाक्य अशुद्ध हैं। पहले वाक्य में, ‘घोड़ा’ पुल्लिंग शब्द है, अत: इसके साथ पुल्लिंग क्रिया ‘रहा’ होना चाहिए। यह वाक्य शुद्ध रूप में होगा घोड़ा दौड़ रहा है। इसी प्रकार दूसरे वाक्य में, ‘ रहा’ की जगह ‘ रहे’ होना चाहिए। यह वाक्य शुद्ध रूप में होगा रोहन और रेखा स्कूल जा रहे थे। इन वाक्यों की अशुद्धियों का ज्ञान हमें व्याकरण से हुआ।
व्याकरण की परिभाषा – व्याकरण एक ऐसा ज्ञान है, जो हमें किसी भाषा को शुद्ध रूप में पढ़ना, लिखना और बोलना सिखाता है।
व्याकरण के अंग:
व्याकरण के तीन अंग होते हैं 1. वर्ण विचार 2. शब्द विचार3. वाक्य विचार
वर्ण विचार (Phonology): इसमें वर्ण, उसके उच्चारक तथा प्रकारों की जानकारी मिलती है।
शब्द विचार (Morphology): इसमें शब्द की रचना, उत्पत्ति तथा प्रकारों का ज्ञान होता है।
वाक्य विचार (Syntax): इस अंग में वाक्य, वाक्य की रचना, प्रकारों एवं विराम चिह्नों आदि पर विचार किया जाता है।
सार – संक्षेपअपने विचारों एवं भावों को प्रकट करने के साधन को भाषा कहते हैं।
भाषा के तीन रूप होते हैं 1. मौखिक 2. लिखित और 3. सांकेतिक ।
किसी भाषा को लिखने में प्रयोग होने वाले चिह्नों को लिपि कहते हैं।
हिंदी भाषा देवनागरी लिपि में लिखी जाती है।
व्याकरण से हम भाषा को सही ढंग से पढ़ना, लिखना और बोलना सीखते हैं।
व्याकरण के तीन अंग होते हैं- 1. वर्ण विचार 2. शब्द विचार 3. वाक्य विचार।