गोदावरी नदी कितने राज्यों से होकर बहती है:- गोदावरी नदी, जिसे “दक्षिण गंगा” के नाम से भी जाना जाता है, भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है। यह नदी पश्चिमी घाट के त्र्यंबक पर्वत (नासिक, महाराष्ट्र) से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। गोदावरी नदी की कुल लंबाई लगभग 1,465 किलोमीटर है। यह नदी मुख्य रूप से भारत के पाँच राज्यों – महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होकर बहती है। यह भारत की सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है, जिसका सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आर्थिक महत्व भी बहुत अधिक है।
गोदावरी का उद्गम स्थल और यात्रा का प्रारंभ
गोदावरी नदी का उद्गम महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबक पर्वत से होता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे हिंदू धर्म में पवित्र स्थान माना जाता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर, जहां से गोदावरी नदी निकलती है, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। उद्गम स्थल से ही गोदावरी की यात्रा प्रारंभ होती है और यह नदी पश्चिमी घाट की पहाड़ियों से पूर्व की ओर बहना शुरू करती है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र राज्य गोदावरी नदी के प्रवाह का प्रमुख क्षेत्र है। राज्य के नासिक, अहमदनगर, औरंगाबाद, बीड, नांदेड़, और हिंगोली जिले इस नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आते हैं। गोदावरी के किनारे बसे नगर और गांव महाराष्ट्र की सामाजिक और आर्थिक जीवन रेखा माने जाते हैं। यह नदी महाराष्ट्र के किसानों के लिए जल संसाधन का महत्वपूर्ण स्रोत है, विशेष रूप से सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सिंचाई के लिए। इसके अलावा, यह नदी महाराष्ट्र में कई जल विद्युत परियोजनाओं का आधार भी है।
महाराष्ट्र में गोदावरी कई सहायक नदियों को अपने में समाहित करती है, जिनमें प्रमुख हैं – प्रवरा, मंजीरा, पेंगंगा और वारणा। महाराष्ट्र के लोगों की सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों में भी गोदावरी का महत्वपूर्ण स्थान है। नासिक में कुंभ मेला का आयोजन होता है, जहां लाखों श्रद्धालु गोदावरी में स्नान करने आते हैं। इस तरह, गोदावरी नदी का महाराष्ट्र में सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक महत्त्व अटूट है।
तेलंगाना
महाराष्ट्र के बाद गोदावरी नदी तेलंगाना राज्य में प्रवेश करती है। तेलंगाना के आदिलाबाद, निर्मल, निजामाबाद, जगितयाल, और भद्राचलम जिले गोदावरी नदी के किनारे बसे हुए हैं। गोदावरी का तेलंगाना में प्रवेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राज्य का सबसे बड़ा जल संसाधन है। गोदावरी का पानी तेलंगाना के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जीवनदायिनी के रूप में कार्य करता है। इस राज्य में काले कृषि भूमि के विशाल विस्तार हैं, जिन्हें सिंचाई के लिए गोदावरी पर निर्भर रहना पड़ता है।
तेलंगाना में गोदावरी नदी पर कई बांध और जलाशय बनाए गए हैं। इनमें श्रीराम सागर परियोजना और कलेश्वरम परियोजना प्रमुख हैं, जो राज्य के जल संसाधन विकास और कृषि विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। तेलंगाना की आदिवासी और ग्रामीण आबादी भी इस नदी पर निर्भर रहती है, जो इसके जल का उपयोग मछली पालन और अन्य आजीविका साधनों के लिए करती है। तेलंगाना की संस्कृति और परंपराओं में गोदावरी का महत्वपूर्ण स्थान है, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों में।
आंध्र प्रदेश
तेलंगाना से गोदावरी नदी आंध्र प्रदेश राज्य में प्रवेश करती है। आंध्र प्रदेश में गोदावरी का प्रवाह राज्य के पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों से होता है। यह क्षेत्र भारत का प्रमुख कृषि उत्पादक क्षेत्र है, जहां धान, गन्ना और नारियल जैसी फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। आंध्र प्रदेश के किसानों के लिए गोदावरी का पानी सिंचाई का प्रमुख स्रोत है, और इसकी सहायक नदियों के माध्यम से राज्य में जल वितरण होता है। आंध्र प्रदेश के काकिनाडा और राजामुंद्री जैसे बड़े शहर गोदावरी नदी के किनारे स्थित हैं।
गोदावरी नदी का डेल्टा क्षेत्र आंध्र प्रदेश में अत्यंत उपजाऊ है। यहां नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले अपनी सहायक नदियों के माध्यम से विशाल डेल्टा का निर्माण करती है। यह डेल्टा क्षेत्र राज्य के मछली पालन, कृषि और अन्य आजीविका साधनों के लिए महत्वपूर्ण है। आंध्र प्रदेश में गोदावरी के किनारे कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं, जिनमें द्राक्षारामम और कोटिलिंगेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। आंध्र प्रदेश की जनता गोदावरी को एक पवित्र नदी मानती है, और इसके किनारे होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में लाखों लोग भाग लेते हैं।
छत्तीसगढ़
गोदावरी नदी का प्रवाह छत्तीसगढ़ राज्य के कुछ हिस्सों से होकर भी होता है। यह राज्य में बालोद, कांकेर और बस्तर जिलों के सीमांत क्षेत्रों को छूती है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय इस नदी के पानी का उपयोग अपनी दैनिक आवश्यकताओं के लिए करते हैं। यहां गोदावरी की सहायक नदियों जैसे इंद्रावती, साबरी और प्राणहिता का भी प्रवाह होता है, जो छत्तीसगढ़ के जल संसाधनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
छत्तीसगढ़ में गोदावरी का प्रवाह अपेक्षाकृत कम समय के लिए होता है, लेकिन इसका स्थानीय जनजीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। नदी के जल का उपयोग यहां के किसान सिंचाई और मछली पालन के लिए करते हैं। इसके अलावा, गोदावरी नदी छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों के लिए सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखती है। नदी किनारे होने वाले धार्मिक उत्सवों और मेलों में स्थानीय समुदाय भाग लेते हैं।
ओडिशा
हालांकि गोदावरी नदी का मुख्य प्रवाह ओडिशा से नहीं होता, पर इसकी कुछ सहायक नदियां इस राज्य से होकर गुजरती हैं। ओडिशा के मलकानगिरी जिले में गोदावरी की सहायक नदी साबरी का प्रवाह होता है। यह क्षेत्र आदिवासी बहुल है और यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और वन उत्पादों पर आधारित है। साबरी नदी का जल इन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है, और यह मछली पालन और अन्य गतिविधियों का भी स्रोत है।
गोदावरी का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
गोदावरी नदी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। हिंदू धर्म में गोदावरी को पवित्र माना जाता है, और इसके किनारे कई तीर्थस्थल स्थित हैं। नासिक में कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है, जहां लाखों श्रद्धालु गोदावरी में स्नान करने आते हैं। इसके अलावा, द्राक्षारामम, भद्राचलम, त्र्यंबकेश्वर और कलेश्वरम जैसे पवित्र स्थल भी गोदावरी के किनारे स्थित हैं।
गोदावरी का आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व
गोदावरी नदी दक्षिण भारत की आर्थिक जीवनधारा मानी जाती है। इसके पानी का उपयोग कृषि, जल विद्युत उत्पादन, मछली पालन और अन्य उद्योगों में किया जाता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र जैसे राज्यों की बड़ी आबादी की आजीविका इस नदी पर निर्भर करती है। गोदावरी नदी के डेल्टा क्षेत्र में कृषि उत्पादकता अत्यधिक है, और यह भारत का प्रमुख चावल उत्पादन क्षेत्र है।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी गोदावरी का महत्त्व अत्यधिक है। इसका जलग्रहण क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है, जहां कई वन्यजीव और वनस्पतियां पाई जाती हैं। गोदावरी का डेल्टा क्षेत्र भारत का प्रमुख मैन्ग्रोव वन क्षेत्र भी है, जो कई जलीय प्रजातियों का निवास स्थल है।
निष्कर्ष
गोदावरी नदी भारत के पाँच राज्यों – महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होकर बहती है और इन सभी राज्यों की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का एक अभिन्न हिस्सा है।